मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि अवस्थापना विकास और तकनीकि दक्षता से सबंधित विभागों को एक ही क्षेत्र में रखा जाए। आईटी पार्क की स्थापना जिन उद्देश्यों की पूर्ति की लिए की गई थी, उस हिसाब से कार्य किये जाएं। पर्वतीय क्षेत्रों में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रयास किये जाएं। उन्होंने निर्देश दिये कि प्राइवेट इंडस्ट्रियल एस्टेट पॉलिसी के तहत ऐसी व्यवस्था की जाए कि भू-उपयोग परिवर्तन के लिए धारा 143 कराने की अलग से जरूरत न पड़े, ताकि कार्यों में अनावश्यक देरी न हो। उन्होंने कहा कि नगरीय क्षेत्रों के अलावा पर्वतीय क्षेत्रों में भी उद्योगों को तेजी से बढ़ावा दिया जाए। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि पर्वतीय क्षेत्रों में रूरल बिजनेस इंक्यूबेटर को तेजी से बढ़ावा दिया जाए। युवाओं और महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
बैठक में जानकारी दी गई कि मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत लगभग 50 हजार लोगों को रोजगार मिला है। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि इस योजना को लोगों को अधिक से अधिक फायदा मिले, इसका व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार किया जाए। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना नैनो को भी मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में जोड़ दिया जाए। सीएम स्वरोजगार योजना के तहत बजट बढ़ाने की आवश्यकता है, तो इसके लिए प्रस्ताव लाया जाए। 2028 तक राज्य की जीडीपी दुगुना करने के लिए विनिर्माण क्षेत्र में 2028 तक 90 हजार करोड़ के निवेश का लक्ष्य रखा गया है, जबकि 01 लाख 26 हजार करोड़ का लक्ष्य हासिल होने की संभावना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि औद्योगिक विकास के लिए अन्य राज्यों की बेस्ट प्रैक्टिस के आधार पर भी कार्य किये जाएं।
बैठक में उपाध्यक्ष अवस्थापना अनुश्रवण परिषद् विश्वास डाबर, मुख्य सचिव मती राधा रतूड़ी, अपर मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन, प्रमुख सचिव आर. के. सुधांशु, सचिव उद्योग विनय शंकर पाण्डेय, अपर सचिव विजय जोगदंडे, महानिदेशक उद्योग रोहित मीणा और संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।
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